बालार्क मंदिर और उसका इतिहास
9वीं शताब्दी में बहराइच पर शासन करने वाले अर्कवंशी क्षत्रिय कुल के शासक महराजाधिराज त्रिलोकचंद्र अर्कवंशी ने बहराइच में एक विशाल और भव्य सूर्य मंदिर का निर्माण करवाया था। उनके द्वारा बनवाए गए इस सूर्य मंदिर को बालार्क मंदिर का नाम दिया गया था। महाराजाधिराज त्रिलोकचंद्र अर्कवंशी ने बहराइच से अपनी विशाल सेना लेकर इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) के शासक को पराजित किया था। जिसके बाद महाराजा त्रिलोकचंद्र अर्कवंशी ने इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) पर अर्कवंश का एकक्षत्र शासन स्थापित किया।
जिसके फलस्वरूप महाराजा त्रिलोकचंद्र अर्कवंशी की नौ पीढ़ियों ने इंद्रप्रस्थ (दिल्ली) पर शासन स्थापित किया। बहराइच में महाराजा त्रिलोकचंद्र अर्कवंशी द्वारा बनवाए गए भगवान अर्क (सूर्य) को समर्पित विशाल बालार्क मंदिर को १४ वीं सदी में पूरी तरह से तहस नहस कर डाला गया। हिंदुओ के धर्मस्थल के रूप में अपनी पहचान बना चुके इस मंदिर को तोड़ने का प्रयास १० वीं सदी में ही किया गया था जब 1,50,000 लाख की इस्लामिक आक्रमणकारी जिहादी सेना ने बहराइच पर हमला किया था और तत्कालीन समय में बहराइच पर शासन कर रहे महाराजा सुहेलदेव भारशिव ने अन्य 17 राजाओं के साथ उस डेढ़ लाख की जिहादी इस्लामिक आक्रमणकारी लश्करों को गाजर मूली की तरह काटकर मौत के घाट उतार दिया था। इस 1,50,000 की जिहादी लश्करों (सेना) का नेतृत्व सैय्यद सलार मसूद गाजी और उसका मामा सैय्यद सलार महमूद गाजी दोनों कर रहे थे। लेकिन भारतीय योद्धाओं के समक्ष 1,50,000 लाख की इस्लामिक जिहादियों की टोली इस मंदिर को तोड़ने में असफल रही। लेकिन 14 वीं सदी में इस्लामिक आक्रमणकारी तुगलक ने हिंदुओं के धर्मस्थल बालार्क मंदिर को तोड़ डाला और वहां पर रहने वाले हिन्दुओं की हत्या कर उनकी आवाजों को बंद कर डाला। हिंदुओ के इस रक्तपात के बाद तुगलक ने बालार्क मंदिर की जगह उस आक्रमणकारी जिहादी सैय्यद सलार मसूद गाजी की दरगाह बना दी जहां पर भगवान सूर्य का मंदिर था। कल तक जहां हिंदुओ का धर्मस्थल बालार्क मंदिर था आज वहां उसी हमलावर सैय्यद सलार मसूद गाजी की दरगाह बनवा दी गई है। इसी बालार्क मंदिर के पास महाराजा त्रिलोकचंद्र अर्कवंशी द्वारा बनवाया गया सूर्य कुंड (अर्क कुंड) था। आज भी वहां पर यही कुंड विद्यमान है और मुस्लिम लोग इस दरगाह को घेरकर इस सूर्य कुंड को जमजम का पानी बोलकर पीते हैं। अतः सरकार से हमारी मांग है इस दरगाह को पूरी तरह से तोड़कर उसे उसके वास्तविक स्वरूप यानी के सूर्य मंदिर के रूप में स्थापित किया जाए।