Wednesday, 8 May 2019


अर्कवंशी क्षत्रिय द्वारा स्थापित खागा नगर का इतिहास-



अर्कवंश मे जन्में महाराजा दलपतसेन के पुत्र महाराजा खड्गसेन (खड्गसिंह) अर्कवंशी हुए, जिन्होंने खागा (खगपुरी) नामक नगर की स्थापना की। उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के अन्तर्गत आने वाले इस नगर पर भी अर्कवंशी क्षत्रियों का इतना प्रभाव था कि इससे भयभीत हो चुके मुस्लिम आक्रमणकारी और शत्रु सेना सदैव अर्कवंशी शासकों से युद्ध करने मे संकोच करते थे क्योंकि इनकी युद्धनीति व रणकुशलता का सामना करने की किसी भी विरोधी सेना मे हिम्मत नही होती थी। जब इस नगर  पर मुस्लिम आक्रमणकारियों ने हमला किया उस समय भी इस नगर पर अर्कवंश का गौरवशाली परचम लहरा रहा था।





लेकिन मुस्लिम आक्रमणकारियों ने कुछ लालची और स्वार्थी लोगों को अपने साथ मिलाकर अर्कवंश के इस नगर पर हमला कर दिया जिसकी सूचना 
पाकर महल मे उपस्थित सभी अर्कवंशी क्षत्रियों ने रणनीति बनाई और शत्रु के वार का मुँहतोड़ जवाब देने के लिए महाराजा खड्गसिंह अर्कवंशी के सेनापति समरजीत सिंह जी ने महल के द्वार अचानक से खुलवाकर शत्रु सेना की तरफ से आ रही सेना की विशालकाय टुकड़ी के मुखिया को हाथी पर बैठा देखकर उन्होंने अपने घोड़े को तेज गति से दौड़ाते हुए हाथी के सिर पर घोड़े के पाँव रखवाते हुए मुस्लिम सेना के एक सेनापति के सिर को धड़ से अलग कर दिया। जिसके बाद अर्कवंशी क्षत्रिय और उनके वह वीर सेनापति मुस्लिम आक्रमणकारियों की सेना को गाजर मूली की तरह काटते जा रहे थे लेकिन शत्रु की सेना विशाल होने के कारण व आंकलन ना होने के कारण मुस्लिम आक्रमणकारियों ने चारों तरफ से घेर कर धोखे के साथ महाराजा खड्गसेन अर्कवंशी के सेनापति और और अर्कवंशी योद्धाओं को अलग अलग घेर लिया बड़ी मात्रा मे जिसके बाद वीरता पूर्वक लड़ते हुए सेनापति समरजीत सिंह जी और अर्कवंशी योद्धओं ने अपने प्राण गवां दिये, जिसके बाद समस्त अर्कवंशी क्षत्रियों ने अपने प्राणों की चिंता किये बिना शत्रु से जा भिड़े, मुस्लिम आक्रमणकारियों की यह कुटिल नीति और छल उनके काम आई तथा प्राण गवां चुके अर्कवंशी क्षत्रियों के बचे रह गये केवल महल और उनके द्वारा बनवाये गये मंदिरों को तोड़ना शुरू कर दिया और जहां भी अर्कवंश से सम्बन्थित कोई भी प्रतीक देखते उसे तहस नहस किये बिना वह उसे छोड़ते नही थे कई सूर्य (अर्क) कुंडों व मंदिरों को मुस्लिम आक्रमणकारियों ने अपवित्र किया।




आज भी यह रक्तरंजित युद्धगाथा खागा के प्रत्येक निवासी के जिव्हा पर रटी हुई है। अर्कवंश के शासको का एक समय फतेहपुर सहित इस क्षेत्र पर इतना दबदबा था कि अर्कवंशियों ने द्शाश्वमेघ यज्ञ तक करवा दिया था, और किसी भी तत्कालीन राजा में अर्कवंशी क्षत्रियों की प्रभुसत्ता को चुनौती देने की हिम्मत नही थी।




फतेहपुर से निकलने वाले समाचार पत्र “ दैनिक संवाद गौरव” के खागा विशेषांक मे प्रकाशित लेख में एक लेख विकास के आइने मे खागा का अतीत के लेखक रविकुमार तिवारी लिखते हैं- कि, खागा नगर के इतिहास की जितनी बात की जाए उतनी ही कम है इसका इतिहास अर्कवंशी क्षत्रियों से जुड़ा रहा है और अर्कवंशीयों ने ही इस नगर को बसाया है, इसका नामकरण अर्कवंश के महाराजा खड्गसेन (खड्गसिंह) अर्कवंशी ने करवाया था। लेख मे आगे लिखते है कि यहां पर अर्कवंशीयों ने ही दशाश्वमेघ जैसे विशाल यज्ञ का आयोजन भी करवाया था। खागा के आस पास कुकरा-कुकरी और कोट गांव आदि मे अभी भी अर्कवंशीयों के गौरवशाली इतिहास की निशानी देखी जा सकती है। इसके साथ ही साथ अर्कवंशी शासकों के फतेहपुर से जुड़े भी कई गौरवशाली इतिहास है जिनमे अर्कवंशी क्षत्रियों के अधीन 8 गढ़ थे जिन पर उनका आधिपत्य चलता था जिस कारण अर्कवंशीयों को अष्टगढ़ नरेश (अर्थात् आठ गढ़ों या किलों का राजा) कहा जाता था।

                        

संदर्भ सौजन्य से

1. श्री आर एन सिंह चौहान
2. सुशील सिंह अर्कवंशी 
3. रवि कुमार तिवारी 


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